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अपने अस्तित्व के लिए जैसलमेर पधारो

अपने अस्तित्व के लिए जैसलमेर पधारो



      
Justic for Chatur Singh
बाड़मेर जैसलमेर के ज़िला प्रशासन द्वारा चुतरसिंह हत्याकांड की सीबीआई जांच की जायज़ मांग को दबाने के लिए इंटरनेट सेवाएँ बाधित करने व धारा 144लगाने जैसे काम किये जा रहे है।
इस पुलिस किलिंग्स के ख़िलाफ़ हमारा यह आंदोलन हर परिस्थति में जारी रहेगा।आप सभी से अनुरोध है कि न्याय व नागरिक अधिकार व पुलिस अत्याचार के विरोध में 2जुलाई को भारी मात्रा में जैसलमेर ज़िला मुख्यालय पर भारी मात्रा में पधारें।

समय सुबह 10 बजे का है।किसी भी तरह की अफ़वाहों व प्रशासनिक हथकंडों से प्रभावित व भयभीत ना होवें।हमारी यह लड़ाई जैसलमेर पुलिस के ग़ैर क़ानूनी व अवैध संविधान विरोधी कृत्य के साथ है।

प्रशासन ग़ैरज़िम्मेदारी व जल्दबाज़ी में अनावश्यक रूप से इसको जातिवादी रंग देने का कुप्रयास कर रहा हैं।यह बहुत ही दुखद व अफ़सोसजनक हैं।नागरिक आंदोलन सदैव सत्य के सहारे जीतते हैं।

हमें बहुत अफ़सोस है कि प्रतिक्रिया व हल्के शब्दों का इस्तेमाल अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है ।

2जुलाई को जैसलमेर ज़िला मुख्यालय पहुँचे जिनको न्याय व भारत के क़ानून व संविधान में आस्था है।



प्रवीण सिंह आगोर की कलम से
2 तारीख को सिर्फ एक दिन मान के घर मत बेठना यह दिन हमारे अस्तित्व का भविष्य तय करेगा बाड़मेर जिला 500 गाडियो की महारैली करके महान एकता का शुत्रपात करेगा यह लड़ाई हमने आधी जीत ली है क्योकि यह सरकार 2 जिलो की नेट सेवा बंद करके यह बता दिया की सरकार कितनी डरी हुई है धारा 144 लगा के वो हमे और उग्र आंदोलन करने को प्रेरित कर रही है अब समाज के नाम पर सबकुछ हासिल करने वालो से भी एक सवाल है कब अपना ऋण उतारोगे मोका है अब तो आप लोग भी आंशिक सहयोग करो आपका इतना सहयोग भी समाज को सम्बल प्रदान करेगा पुरे भारत के मनीषियों से विशेष अनुरोध है कि आप भी इस आंदोलन में भागीदारी निभाये अब अपनी एकता को जाहिर नहीं किया तो आने वाली पुश्ते भी हमे माफ़ नहीं करेगी आगाज करो नए जूनून का जोश भरो अपने भुजाओ मनन करो अपने इतिहास का आओ सब मिलके मुकाबला करे इस अधर्म का


2 तारीख को अपने अस्तित्व के लिए जैसलमेर पधारो लडो अपने मुस्तकबिल के लिए
मेवाड राजघराने वाले प्रदर्शन से दूर क्यों है , तथाकथित युवराज फेसबुक पर यूं तो बडे एक्टिव रहते हैं इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों ।
भूलो मत कि इन राजघरानों की मर्यादा और सम्मान रखने के लिए हजारों हजार आम राजपूतोंने प्राणाहुति दी है आप आज भी राजमहलो में आराम फरमा रहे हो पर आम राजपूत पग पग पर जलील होता है ।

आरक्षण का दंश और लोगों की हिकारत वह सहता है आप नहीं । राजघरानों के लिए वक्त है कर्ज चुकाने का । दूसरे समाज मे थोडी ही इज्जत बची है अब ऐसे वक्त भी महलों तक सीमित रहोगे तो समाज की नजरों में भी सम्मानित नहीं रह पाओगे , और आपकी आगामी पीढियां तो बिल्कुल नहीं है



Jayveer Singh Loroli : जैसलमेर में बंद हुई इन्टरनेट सेवा से क्या आन्दोलन और सम्पर्क कट जाएगा। क्या किसी आन्दोलन का वजूद सिर्फ सोशल मीडिया से ही मापा जाता हैं:-

नारायण बारेठ साहब की आज की एक पोस्ट एक पुराने जमाने के आन्दोलन से

" हूल दिवस !
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ज़रा ज़रा ,चपा चप्पा ,
बड़ा बूढ़ा बच्चा बच्चा ,
तुम्हारी बलिदानी गाथाओं का अहसानमंद है।
सिद्धो और कान्हु तुम्हे सलाम,
चांद और भैरव तुम्हे सलाम !
आज यानी तीस जून ,हूल दिवस है। संथाली में इसका मतलब 'विद्रोह ' है। यह अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ पहला ' विपल्व ' था।इसे संथाल विद्रोह भी कहा जाता है।
30 जून ,1855 ! वो दिन जब अंग्रेज हुकूमत घबराई। वो दिन जब न केवल गोरे ,बल्कि उनके सरपस्त सूदखोर ,जमींदार औऱ उनके कर्मचारी डर सहम गए। क्योंकि ,हजारो आदिवासी विदेशी हकीम के खिलाफ पारम्परिक हथियारों के साथ विद्रोही हो गए।
इन आदिवासियों के पास पैगाम के लिए न फेस बुक थी ,न टविटर ,न एस एम एस। न कोई लाउड स्पीकर ,न नाद ,न कोई साज। लेकिन डुग डुगी के जरिए मुनादी की गई।जंगे आज़ादी के दीवाने उस इलाके में साल दरख्त की टहनी लेकर घूम गए/यह संदेश का तरीका है। फिजा में नारे बलन्द होने लगे -जुमीदार, महाजन, पुलिस राजदेन आमला को गुजुकमाड़", यानी इन सबका नाश हो। संथाल के लोग मालगुजारी से परेशान थे। मालगुजारी के साथ अंग्रेज के कारिंदो की कारगुजारी भी कम नहीं थी।
भगना डीह के चुन्नी मांडी ने अपने चार बेटो -सिद्धो और कान्हु ,चांद और भैरव को इस इंकलाब के लिए समर्पित कर दिया।कहते है चारसौ गावो के 50 हजार लोग जमा हो गए। अंग्रेज हुकूमत की चूले हिल गई। कुछ पुलिस वाले मारे भी गए।इन चारो को पकड़ने का आदेश हुआ। गोलिया चली।कहते है कोई बीस हजार आदिवासियों ने मादरे वतन की खातिर कुर्बानी का नजराना पेश किया।एक इतिहासकार कहता है अंग्रेज का शायद ही कोई सिपाही होगा जो इस बलिदानी घटना से शर्मिंदा न हुआ हो।
सरे आम सिद्धो और कान्हु को फांसी दे गई।चांद और भैरव भी माटी के लिए शहीद हो गए।एक तरफ अंग्रेज ,उसके वफादार सूदखोर और जमींदार और कुछ पुलिसवाले। दूसरी तरफ आदिवासी और आम अवाम। बगावत के बाद पकड़ धकड़ हुई/ इनमे 251 को सजा दी गई।इस सूची में 191 संथाल ,34 नापित ,5 डोम ,फिर कुछ कोल ,भुइया और घागर थे /
ये लड़ाई लूट के खिलाफ थी। वनांचल में कुदरत की बेपनाह दौलत को लूटा जा रहा था।वो काम अब भी जारी है।अब कॉर्पोरेट है ,उन्हें कोऑपरेट करने को नेता है और मीडिया है।
झारखंड खनिज सम्पदा से मालामाल है। लेकिन लोग निहायत गरीब है। सिद्धो और कान्हु की विरासत मुफलिसी में जी रही है।
विडंबना यह भी यही कुछ लोग सिद्धो और कान्हु को जानते भी नहीं है।
न कोई अंधेरो में बसर हो ,दिया रात भर जलता रहा।
भोर में उजाला पसरा तो उसे भूला दिया गया।
हमारे आज के लिए उन्होने अपना कल कुर्बान कर दिया था /
सादर


प्रेस विज्ञप्ति
जैसलमेर प्रदर्शन में पहुंचेगे बीकानेर से राजपूत युवा
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बीकानेर 30 जून

जैसलमेर में पुलिस द्वारा फर्जी एनकाउंटर में मारे गए निर्दोष युवक चुतरसिंह की हत्या की सीबीआई जाँच की मांग को लेकर 2 जुलाई को जैसलमेर में प्रस्तावित महापड़ाव में बीकानेर से राजपूत समाज के लोग भाग लेंगे।
युवा नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि 1जुलाई को रात्रि में जैसलमेर के लिए राजपूत छात्रावास और बीदासर हाउस से बसे रवाना होगी।
बीकानेर से राजपूत समाज के जन प्रतिनिधि राजनीतिक दलो से जुड़े पदाधिकारी छात्रनेता महापड़ाव में भाग लेने जैसलमेर पहुंचेगे।
ज्ञातव्य है कि 25 जून को रात्रि में जैसलमेर पुलिस द्वारा निर्दोष युवक चुतर सिंह की हत्या एनकाउंटर में कर दी थी जिसके विरोध में पुरे राजस्थान में प्रदर्शन हो रहे है। आंदोलनकारी हत्याकांड की सीबीआई जाँच के साथ ही जैसलमेर पुलिस अधीक्षक को इस मामले में मुल्जिम बनाकर हत्याकांड में एसपी की भूमिका की जाँच करने तथा एपीओ करने की मांग कर रहे है।
महापड़ाव में बीकानेर से राजपूत समाज के लोगो की भागीदारी के लिए आज बैठक कर रणनीति तय की।
बैठक में शम्भु सिंह झझू ,गोवर्धन सिंह भाटी, जुगल सिंह बेलसर ,विजेंद्र सिंह गिगसर ,पूनम सिंह सोढा, रणवीर सिंह सहित अनेक युवा मौजूद थे।

इंटरनेट सेवाए बाधित करने की निंदा :- आंदोलन के चलते जैसलमेर बाड़मेर में इंटरनेट सेवाओ पर रोक लगाने के जिला प्रशासन के फैसले को गैर कानूनी बताते हुए मूवमेंट फॉर सोशल जस्टिस के कन्वीनर सुरेन्द्रसिंह शेखावत ने निंदा की। शेखावत ने जिला प्रशासन पर अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता बाधित करने का आरोप लगाया।

सुरेन्द्रसिंह शेखावत
कन्वीनर
मूवमेंट फॉर सोशल जस्टिस
94133 88098


राजपूत MLA & MP प्रदर्शन से दूर क्यों है इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों ।
वर्तमान के MLA & MP राजपूत इस समय अपने आपको मजबूर व असहाय महसूस कर रह है क्योकि इस समय उनके द्वारा राजनीती में उच्च पद पाने की लालसा उनको निम्न स्तर से भी निचे गि रा रही है ।इसके लिए वे बहरे , गूँगे, अँधे और बेशर्म हो रहे है क्योंकि उनके ऊपर पार्टी का दबाव है ऐसा वे हमारे आगे ड्रामा करते है , वो असहाय होने का दिखावा करते है और उनको ऐसा लग रहा है कि हम MLA / MP में से जो अपना जमीर और ईमान अधिकतम बेच पाने में सफल होगा वही राजनीती में आगे बढ़ सकेगा । राजपूत जाति के प्रतिभाशाली व होनहार आज भी इस घृणित कार्य नाटकबाजी को कर पाने में स्वयं को दूर ही रख रहे है । इस समय राजनीती में सबसे कमजोर हम है क्योंकि राजनीती में ऊपर तक हमारी पहुँच ही नहीं है । अगर राजनीती में हमारी पहुँच बनानी है तो विधायक और सांसद हमको ऐसे नये युवाओं को बनाना पड़ेगा जो हिन्दू धर्म के लिए मोदी की तरह राजपूतों के मोदी बन सके पुराने वालों में से समाज समर्पित की छंटनी कर समाज द्रोहियों की जगह नव प्रतिभाओं को अवसर देना चाहिए । अक्षम्य व समाज के लिए गद्दारों को हमारा नेता हर हाल में नहीं बनाना चाहिए । अगर उनके बदले हम किसी नविन युवाओं को समर्थन करेंगे तो निश्चित रूप से वो लोग हमारा तन मन और धन से सहायता करेंगे । आज हमारे 26 लोग MLA है लेकिन ( कुछ विधायको को छोड़ कर) उनमें से अधिकतर पार्टियो के प्रोटोकाल में बंधे हुए का नाटक व ड्रामा कर समाज को धोखे में रखते है सा । उनसे हमको हमारी सहायता की आशा नहीं करनी चाहिए ।अभी अभी आरक्षण एवं जैसलमेर वाले मुद्दे के मामले का उदाहरण हमारे सामने है हमने जिन जिन नविन प्रतिभाओं को सपोर्ट किया था उनका उदाहरण हम सबके सामने है । वो हमारे समाज के लिए आऊट ऑफ वे जा करके भी अपने समाज को सहायता करते है हुक्म ।यदि नई प्रतिभाओं को अवसर देंगे तो ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी । ना कोई समाज द्रोही MLA / MP बनेगा और ना हम उनको कभी धर्म संकट में डालने लगेंगे जैसा कायर MLA / MP वर्तमान में सोच रहे है। अगली बार हमें इस विषय को गंभीरता से लेना है और बहुत ही गहराई से उस पर अभी से विचार विमर्श शुरू करना चाहिए हुक्म ।




इंटरनेट सेवाए बाधित करने की निंदा :- आंदोलन के चलते जैसलमेर बाड़मेर में इंटरनेट सेवाओ पर रोक लगाने के जिला प्रशासन के फैसले को गैर कानूनी बताते हुए मूवमेंट फॉर सोशल जस्टिस के कन्वीनर सुरेन्द्रसिंह शेखावत ने निंदा की। शेखावत ने जिला प्रशासन पर अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता बाधित करने का आरोप लगाया।


स्वयं के अस्तित्व को पहचान कर सर्वशक्तिमान बनो
Justic for Chatur Singh

हम भटक ज़रूर गये हें ,पर बलिदान देना भूलें नहीँ हें.........भूल नहीँ सकते...........हम चाहे कितने भी कर्तव्यहीन व अकर्मण्य हो जायें............पर वो महान पूर्वजों का रक्त जो हमारी रगों में दौड़ रहा हें ,वो हमें धर्म की रक्षा के लिये अधर्म का शीश उतारने से ज्यादा समय रोक नहीँ सकता..........वो बार -बार पुकारेंगा ,चिंखेगा ,चिल्लायेगा और एक दिन हमें जागना ही होगा...........उत्तम हो सब गवाने से पहले जाग जायें..........हमें कर्तव्यपथ से दूर करती माताओं और पत्नीयों को त्यागकर जंगे आजादी की लड़ाई में माँ रणचंडी की प्यास अपने व शत्रु दल के रक्त से बुझाने का वक्त आ गया हें..........छोड़ दो साथियों जीवन का मोह........पहचानो अपने वास्तविक स्वरूप को........महान आदर्शों से आकंठ डूबे स्वरूप को.......परिवार के मोह के बंधन.......ईस खूंटे को एक बार तुडाकर तो देखो..........तुम्हें वो असीम शांति मिलेगी जो सिद्धि की प्राप्ति पर योगी को मिलती हें...........सिद्धि प्राप्ति के मार्ग में ये परिवार का व देह का मोह ही तो एकमात्र बंधन हें........इसका त्यागकर हमारे साथ आ जाओ साथियों.........फ़िर देखो हमारी संयुक्त शक्ति को........अजेय ,अपरिमित शक्ति को..........ईस संसार के प्रत्येक पदार्थ व द्रव्य को भोगने का प्रथम अधिकार "क्षत्रिय "का हें.........तो हम क्यों चूसें हुए आम की गुठलियों पर निर्भर हें..........भूल गये......"वीर भोग्या वसुंधरा "...........वीर बनो और सम्पूर्ण सृष्टि के पालक बनकर इसके सम्पूर्ण पदार्थों का भोग करो..........भोग करो ,किंतु एक योगी की भाँति........अजीब लगा ना........किंतु ये हमारी क्षत्रियता में निहित गुण हें..........हम योगी ही हें ,किंतु धर्म की रक्षार्थ हाथ में "शमशीर "धारण किये............हम चाहे 21 वीं सदी में विचर रहें हो ,किंतु जड़ हमारी "सनातन "में ही हें..........और जड़ से दूर होकर कोई वृक्ष हरा नहीँ रह सकता.........यही अंजाम हमारा हुआ........सृष्टि का नियम हें ,यहाँ कमजोरों को जीने नहीँ दिया जाता..........कमजोरों को सदैव किसी मजबूत के सानिध्य में सुरक्षा तलाश करनी पड़ती हें..........तो अब निर्णय आपका हें..........या तो स्वयं दीन ,हीन ,लाचार होकर आश्रय तलाशो.......या स्वयं के अस्तित्व को पहचान कर सर्वशक्तिमान बनो और विश्व को आश्रय दो !

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