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ये हम सब हिन्दुस्तानियो के आत्म सम्मान को चोट है

ये हम सब हिन्दुस्तानियो के आत्म सम्मान को चोट है

देश के सेना मे राजपूतो का बहुलता का क्या मतलब रह गया जब राजपूतो के सम्मान को हर जगह नीलाम किया जा रहा है
मोदी जवाव दो .
क्या ये सिर्फ करणी सेना की जिम्मेदारी है या सिर्फ राजपूत समाज की जिम्मेदारी है की वो इतिहास के साथ जानभूझ कर व्यवसायिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए पैसा कमाने के लिए एक ऐतिहासिक घटना जिस से आम राजस्थानी का आत्मसम्मान जुड़ा हो उसके साथ बड़ी ढीटता से फेर बदल करनेवाले संजय लीला भंसाली को सबक सिखाये या विरोध करे ? ये हम सब की जिमेदारी है
क्या हम हिन्दुस्तानियो का राजस्थानियों का आत्म सामान मर गया है की कोई हमारी धरोहर हमारे सुनहरे इतिहास से निर्लज्जतापूर्वक छेड़छाड़ करे और इतिहास को एक मनोरंजन के नाम पे अपनी सुविधानुसार बदल दे और हम मौन हो कर उसकी इस कारगुजारी को परदे पे देख कर खुश हो ?,
बड़े शर्म की बात है की पिछले दिनों कई फिल्मो में इतिहास को तोड़मरोड़ के मनोरंजन और रोमांस के तड़के के साथ दिखाया जा रहा है
समझ से पर है की हमारी राष्ट्रिय धरोहर को कोई कैसे छीन भिन्न कर सकता है ?
मात्र फिल्म के शुरू में ये लिख देने से की "इस फिल्म का हकीकत से कोई लेना देना नहीं है ये सिर्फ एक फिक्शन है कल्पना है।" ऐसा लिख देने से आप अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है ? इस कल्पना में क्या आप रानी पद्मावती को अल्लुद्दीन खिलजी की प्रेमिका बना सकते है ? शर्म की बात है बेहद शर्म और गुस्से की बात है ,बेहद ही गुस्से की बात है
अगर संजय लीला बहनसाली को रामायण बनाने का मौका मिले तो शायद वो सीता जी को रावण की प्रेमिका बना दे और फिल्म के शुरुआत में लिख दे की इस कहानी का मूल रामायण से कोई लेना देना नहीं है यह केवल दर्शको के मनोरंजन के लिए कहानी में रद्दो बदल की गयी है ,इसे सिर्फ मनोरंजन के लिए देखे
कितनी अपमानजनक बात है कहा हम ये पढ़ते है की रानी पद्मावती ने अपने साथ कई अन्य महिलाओंके साथ अपनी अस्मिता और इज्जत बचने के लिए जोहर किया और अपने आप को अग्नि को समर्पित कर लिया दूसरी तरफ ये फिल्म शायद ये बताएगी की पद्मावती अल्लाउद्दीन की प्रेमिका थी "
ये राष्ट्रिय शर्म है।

जो नपुंसक हिन्दू , करणी सेना के बच्चों का विरोध कर रहे हैं वे कान खोल कर सुन लें :
मां पद्मिनी ज़हर खा कर या कटार से भी आत्महत्या कर सकती थीं परन्तु
माँ पद्मिनी ने सोलह हज़ार हिन्दू स्त्रियों के साथ जौहर किया था ताकि म्लेच्छ ख़िलजी उनके मरे हुए शरीर को भी हाथ ना लगा सके ।
अब यदि भांड भंसाली ख़िलजी को सपने में मेरी माँ के शरीर पर हाथ फेरते दिखाएगा तो जो हिन्दू चैन की नींद सो सकते हैं वे सो जाएँ ।
परन्तु कुछ हैं जो जानते हैं कि माँ पद्मिनी स्वर्ग से अपने बच्चों को देख रही हैं कि कहीं हिन्दू धर्म के लिए दी उनकी आहुति व्यर्थ तो नहीं होगी !
पद्मिनी तो आज नहीं हैं , पर हम आज हिन्दू हैं तो उनके महात्याग व समझ के कारण हैं ।
जब तक एक भी हिन्दू जीवित है कोई म्लेच्छ हमारी माँ को नहीं छू सकता ।
सात सौ साल पूर्व तो माँ पद्मिनी ने शरीर जला लिया था , आज का म्लेच्छ यदि माँ को छुएगा तो उसे यथायोग्य दण्ड दिया जाएगा ।
नमन है करणी सेना के रणबाँकुरों को ।
जय माँ करणी। Jai Rajputana
इस की हर वर्ग के द्वारा भर्त्सना की जानी चाहिए, न केवल करणी सेना या राजपुताना समाज बल्कि हर राजस्थानी हर भारतीय को इसकी भर्त्सना करनी चाहिए 
इस तरह के लोगो को सरकार द्वारा सजा देनी चाहिए , साथ ही सरकार की इतिहास और संस्कृति विभाग की तरफ से ये कानून बनाना चाहिए की कोई भी इतिहास के साथ साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा
अगर कोई इतिहास पे फिल्म बनाता है वो वो अपनी स्क्रिप्ट कहानी पहले सरकार से अनुमोदित करवाएगा ताकि विशेषज्ञयो द्वारा जाच कर ली जाए की कही इतिहास से छेड़छाड़ या हेरफेर तो नहीं किया गया है
हमें अपने इतिहास पे गर्व होना चाहिए और इस को बेईज्जत करने का किसी को हक़ नहीं चाहे वो कोई भी हो , एक राजस्थानी होने की वजह से मुझे बहुत दुःख है ,गुस्सा है और शोभ है की पहले जोधा अब पद्मावती के चरित्र के साथ छेड़ छाड़ की गयी है।
बेहद दुःख है गुस्सा है।

किसी सती स्त्री का अपमान कर अपनी दुकान चलाने वालो का यही अंजाम होगा
करण जौहर ने भंसाली मुद्दे पर बॉलीवुड को एकजुट होने का आह्वान किया है, तो सुन ले हिजंडे या पुरा राजपुताना इस मुद्दे पर संगठित हो चुका है फिल्मी भांडो सुधर जाहो नहीं तो अब विरोध ऐसा होगा जो कभी किसी ने देखा और सुना नही होगा अब लीला आर पार कि खेलेंगे या तो तुम नही या हम नहीं......!
जय राजपुताना
जय करणी

कौन थी रानी पद्मावती
कौन थी रानी पद्मावती,
रानी पद्मावती

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