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राजपूतों पर एक ब्राह्मण द्वारा लिखी पोस्ट है जरूर पढ़ें

राजपूतों पर एक ब्राह्मण द्वारा लिखी पोस्ट है जरूर पढ़ें

राजपूतों पर एक ब्राह्मण द्वारा लिखी पोस्ट है जरूर पढ़ें:-




"दूसरों की छोड़िये, जिन चंद राजपूत राजाओं को हम और आप मुगलों का समर्थन करने के कारण गाली देते और गद्दार कहते हैं, उनके पुरुखोंने भी बीसों बार इस राष्ट्र के लिए सर कटाया था। आज भी किसी राजपूत लड़के के खानदान का पता कीजिये, मात्र तीन से चार पीढ़ी पहले ही उसके घर में कोई न कोई बलिदानी मिल जाएगा।"
"घर मे बैठ कर तो किसी पर भी उंगली उठाई जा सकती है बन्धु, पर राजपूत होना इस दुनिया का सबसे कठिन काम है। कलेजे के खून से आसमान का अभिषेक करने का नाम है राजपूत होना। तोप के गोले को अपनी छाती से रोकने के साहस का नाम है राजपूत। आप जिस स्थान पर रहते हैं न, पता कीजियेगा उस जगह के लिए भी सौ पचास राजपूतों ने अपना शीश कटाया होगा.. छोड़ दो डार्लिंग, तुमसे न हो पायेगा.....जय हिन्द" 

मैं अपने जीवन काल में प्रथम बार राजपूत समाज को सड़कों पर देख रहा हूँ | अपने बुजर्गों से भी कभी नहीं सुना की राजपूत अपने अधिकारों के लिए कभी कुछ मांगने के लिए या अपना कुछ छिनने से रोकने के लिए, कभी सड़कों पर उतरें हो या कोई आंदोलन ही किया हो | यहां तक की जब सरकार ने राजघरानो की संपत्ति छीनी, राजघरानो को बेइज्जत किया, राजपूतों की जागीरदारी छीनी, राजपूतों की जमीने समाज के अन्य वर्गों को यूँ ही मुफ्त में राजपूतों को बिना किसी हर्जाने या मुआवजे दिए ही बाँट दीं, तब भी राजपूत समाज ने न तो कोई आंदोलन किया न सड़कों पर उतर कर सरकार की संपत्ति या प्राइवेट संपत्ति को कोई हानि पहुंचाई अथवा न ही बहिन बेटियों की इज्जत आबरू से खेला न ही लूट पार की न ही कोई उत्पात ही मचाया था
आज राजपूत समाज सड़क पर आंदोलन कर रहा है, सिर्फ अपने राजघराने की एक सती महान क्षत्राणी महारानी पद्मिनी की अस्मिता की रक्षा के लिए | यह गर्व का विषय है | लोग जब नारियों की अस्मिता सरे राह तार तार कर रहे हैं तब केवल एक राजपूत समाज ही नारी की अस्मिति की सुरक्षा के लिए सड़क पर आया है | वास्तव में यही क्षात्र धर्म है |
लोग तो ऐसे है की जब उन्हें कुछ नहीं मिला राजपूत समाज पर ऊँगली उठाने के लिए उन्हें बदनाम करने के लिए तो उन्होंने राजा रतन सिंह व रानी पद्मिनी के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया | कहा की ये दोनों तो एक मुग़ल कालीन कवि की कल्पना मात्र हैं | इनके लिए एक फिल्म प्रोडूसर ज्यादा अहमियत रखता है बजाय राजपूत समाज की अस्मिता के, एक सति रानी की गौरवगाथा, उनकी वीरता एवं सतीत्व के, एक राजा का अपनी पत्नी व राज्य की सुरक्षा हेतु बलिदान देने के | आश्चर्य होता है मुझे ऐसे लोगों की सोच पर | कितने ओछे व विकृत मानसिकता वाले लोग है ये | राजपूतों के महान व गौरवमयी इतिहास को मानने से ही इंकार कर रहे हैं ये लोग | जबकि चित्तौडग़ढ़ राजघराने के सेंतीसवी पीढ़ी के वंशज आज भी मौजूद हैं |
राजपूत समाज ने सदा सबका भरण पोषण ही किया है | सबकी रक्षा हेतु अपना व अपने परिवार का बलिदान ही दिया है | हर संभव सहायता उपलब्ध कराता रहा है इसके पीछे चाहे उसे अपनी कितनी ही बड़ी हानि ही क्यों न उठानी पड़े | खून कभी बदलता नहीं है | राजा राजा ही होता है | राजा की तरह ही रहता है | राजा की ही तरह व्यवहार करता है | तो क्या हुआ की आज हालात ठीक नहीं है | तो क्या हुआ की आज राजपूत समाज में रोज़गार ज्यादा के पास नहीं है | तो क्या हुआ की जमीन नहीं हैं | दिल और खून तो राजा का ही है | तेवर तो आज भी राजा के ही है जो मरते दम तक रहेंगे।
फिल्म में कोई कुछ कमी बता रहा है और कोई कुछ | मैं कहता हूँ की यदि कुछ कमी है तो वह केवल फिल्म की पटकथा में कमी है | क्यूंकि जिस फिल्म की पटकथा रानी पद्मिनी द्वारा अपने व अपने समाज की सोलह हजार क्षत्राणियों की अस्मिता की सुरक्षा हेतु जौहर करने पर केंद्रित होनी चाहिए था, वह मात्र एक लुटेरे आक्रांता जाहिल क्रूर जानवर व रानी पद्मिनी के प्रसंग पर केंद्रित कर दी गई है | धन कमाने की लालसा ने इस कपटी फिल्मकार संजय लील भंसाली ने फिल्म को राजपूताना गौरवगाथा का उल्लेख करने के स्थान पर ओछे दर्जे की एक मसाला फिल्म मात्र बना डाला है।
देर से ही सही, जाग्रति तो आई राजपूत समाज में | कहा जाता है की राजपूत कभी एक नहीं हो सकते | सही भी लगता था | पर आज एक हो चुके हैं | किसी से कुछ मांगने के लिए नहीं | किसी को लूटने के लिए नहीं | किसी से भीख मांगने के लिए नहीं | किसी से कोई अपने लिए सहूलियत या कोई साहनभूति मांगने के लिए नहीं | किसी का दया पात्र बनने के लिए नहीं | एक हुए हैं, सड़कों पर उतरें हैं, केवल अपनी आन, बान, शान की रक्षा के लिए | एक सति महारानी की अस्मिता की सुरक्षा के लिए | अपने सम्मान की रक्षा के लिए | एक स्त्री के मान सम्मान की रक्षा के लिये | अपने महान गौरवमयी इतिहास की रक्षा के लिए | इस पर गर्व है मुझे |

          "दूसरों की छोड़िये, जिन चंद राजपूत राजाओं को हम और आप मुगलों का समर्थन करने के कारण गाली देते और गद्दार कहते हैं, उनके पुरुखोंने भी बीसों बार इस राष्ट्र के लिए सर कटाया था। आज भी किसी राजपूत लड़के के खानदान का पता कीजिये, मात्र तीन से चार पीढ़ी पहले ही उसके घर में कोई न कोई बलिदानी मिल जाएगा।"

"घर मे बैठ कर तो किसी पर भी उंगली उठाई जा सकती है बन्धु, पर राजपूत होना इस दुनिया का सबसे कठिन काम है। कलेजे के खून से आसमान का अभिषेक करने का नाम है राजपूत होना। तोप के गोले को अपनी छाती से रोकने के साहस का नाम है राजपूत। आप जिस स्थान पर रहते हैं न, पता कीजियेगा उस जगह के लिए भी सौ पचास राजपूतों ने अपना शीश कटाया होगा.. छोड़ दो डार्लिंग, तुमसे न हो पायेगा....."
जय हिन्द 
Jay Maa Bhawani 

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